लेखनी प्रतियोगिता -05-Feb-2023
महकती हवाओ में वीणा सी खनक छा गई
तेरी चूड़ियां मुझको सरगम धुन समझा गयी।
अगरबत्ती सी जिंदगी
कभी जले कभी धुआं करे
किसकी चिंता हो मुझको
जो कुछ होता है हुआ करे
तुम साथ हो मेरे मेरी
चिंता नहीं मुझे कुछ
बस चाहत तू खनकती
हाथों से मुझको छुआ करे
तेरी चूड़ी की धुन से शुरुआत करूँ दिन की
दिन अच्छा होगा बात समझ मे आ गयी।
ये तेरी चूड़ियां मुझको
तेरा सब हाल बताती हैं
तेरी उलझन या खुशियां
मुझको ये समझाती हैं
इनकी खनखन कहती है
तुम कितना मेहनत करती हो
जब हाथ पकड़ लूं मैं
तो ये चुप हो जाती हैं
उत्साह तुम्हारे खुशियों भरे
कुछ भेद तुम्हारे आंखें मुझसे कहने लगी
बाकी हाल ये खन खन कर बतला गयी।
कभी तुम्हारे साथ ये
छप्पन भोग बनाती हैं
कभी शांत हो ये मेरे
माथे पर बाम लगाती हैं
कभी तो थपकी देकर
सोने को कहती हैं
कभी अलार्म बनकर
सुबह जगाती हैं
इनकी आवाज से भरा भरा घर लगता है
ये चेतना का बादल मुझपर बरसा गयी।
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सीताराम साहू 'निर्मल'
07-Feb-2023 07:21 PM
👏👍🏼
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Muskan khan
06-Feb-2023 06:11 PM
👌👌
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Varsha_Upadhyay
06-Feb-2023 05:01 PM
बेहतरीन
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